चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी" href="http://www.chitthajagat.in/?claim=pbh9otjow1pd">
कुछ समय से यूरोप के फैशन संसार में बहस चल रही है कि क्या टाई का कोई भविष्य है? जिस तरह अंग्रेज़ पुरुष अपने शरीर का ध्यान कम रख पा रहे हैं,उससे मोटापा बढ रहा है, तथा मोटापे के कारण अनेक पुरुष बैडोल शरीर को छुपाने के लिये टाई ( व सूट-बूट) सहारा लेते आ रहे हैं।
दूसरी तरफ औपचारिकता के इस निशानी के विरुद्ध विचार प्रगट किये जा रहे है।
जाहिर है इस पर अंतिम वाक्य नही कहा जा सकता।
खैर, उनकी छोडिये, हम तो भारतीय वेश-भूषा की बात करें। हमारे यहां भी टाई सिर्फ पढे लिखे,अंग्रेज़ी-फैशन -परस्त ,अधिकारी वर्ग के व्यक्ति पहनते है। अथवा जाडों के मौसम में ठंड से बचने के लिये भी
( अधिकांश्तया) एलीट वर्ग के लोग इसे पहनते है।
खांटी देसी किस्म के लोग तो टाई का मज़ाक बनाकर इसे "कंठ लंगोट" भी कहते है। इस आम वर्ग की निगाह में टाई पहनने का मतलब खुद को (....जरा) ऊंचा दिखाना ,यानी कि शेखी बघारना कहा जा सकता है.
इसे पहनने वालों का एक वर्ग टाई की वकालत में कहता है कि इससे शरीर की बैडोल बनावट छुप जाती है। ऊपर से कोट पहन कर रौब बढता है सो अलग.
क्या भारतीय् संस्कृति व सभ्यता से टाई का कोई सम्बन्ध है या ये सिर्फ विदेशी प्रतीक है ?
इसके पक्ष में कहा जाता है कि टाई पहनने से व्यक्ति स्मार्ट लगता है तथा सामने वाले पर अच्छा प्रभाव पडता है।
आपकी राय क्या है? कृपया इस पर अपने विचार प्रस्तुत करें तथा साथ में ( बांई ओर ,एक ओपीनियन पोल द्वारा भी अपनी राय व्यक्त करें)